भाषाएँ सीखने में मेरी काफ़ी रुचि रही है इसलिए अब तक कई भाषाएँ सीखने का प्रयास किया है| इसी क्रम में कुछ समय पूर्व मैंने हिंदी सीखना शुरू किया| तब सोचा भी नहीं था कि यह भाषा मैं सीख पाऊँगा और बोलने की कोशिश करूँगा| हिंदी भाषा सीखने के बाद मुझे पहली बार भारत जाने का मौक़ा मिला| इस साल मैं भाषा विज्ञान की पढ़ाई के सिलसिले में हिमाचल प्रदेश के एक ‘समर स्कूल’ में दस दिनों की कार्यशाला के लिए गया|
मैं पहली बार भारत गया था और मुझे वास्तव में बहुत अच्छा लगा। ‘समर स्कूल’ तो हिमाचल प्रदेश में था, लेकिन उससे पहले एक दिन दिल्ली में रहा। मई का महीना था तो सबसे पहली बात जो मुझे परेशान करने वाली थी वो दिल्ली की गर्मी थी – उस दिन का तापमान ४३ डिग्री था पर मुझे वह ५० लग रहा था।
दिल्ली एक बड़ा शहर है। मैंने पढ़ा था कि यह शहर सिंगापुर देश से बड़ा है। यहाँ मेरी सीखी हुई हिंदी बड़ी उपकारी रही, जिसको हिंदी आती है वह भारत में किसी से भी बातचीत कर सकता है, तो मैं भी अपने ड्राईवर से बातचीत कर सकता था। उसने अपने परिवार के बारे में बताया और काफ़ी ‘सरप्राइज़’ था कि मुझे हिंदी आती है।
दिल्ली में बहुत गर्मी थी लेकिन हिमाचल प्रदेश तो एकदम अलग था। मौसम सिंगापुर से बहुत अच्छा लगा। मेरा होटल सोलांग में था, जो हवाई अड्डे से ६७ किलोमिटर दूर था – यह सड़क पूरे सिंगापुर से लम्बी सड़क थी! ‘समर स्कूल’ के छात्र मेरे और दूसरे सिरि्याई छात्रों के सिवाय सब भारतवाले थे। सबको थोड़ी बहुत हिंदी आती थी| चूँकि सब अलग अलग प्रदेशों से थे हम अकसर अँग्रेज़ी में बोलते थे। यात्रा से पहले पता नहीं था कि भारत का ‘नॉर्थ ईस्ट’ होता था। कुछ छात्र मुझे चीनी जैसे लगे थे, तो मैंने पूछा कि क्या वे भारतवाले हैं। उन्होंने बताया कि हाँ, लेकिन ‘नॉर्थ ईस्ट’ वाले हैं और इसलिए चेहरा थोड़ा चीनी या तिब्बत सा लगता है।
जब घर लौटा तो माता पिता ने फ़ेसबुक पर फ़ोटो देखी तो उन्होंने भी पूछा कि क्या वे लोग चीनी थे। आसाम, मणिपुर, सिक्किम की भाषाएँ भी बहुत अलग थीं। सिंगापुरवाले हमेशा कहते हैं कि भारतवाले दो ही तरह के हैं, सिर्फ़ उत्तर और दक्षिण। लेकिन वास्तव में भारत इससे बड़ा है, और उनमें अलग अलग संस्कृतियाँ हैं। भारत की संकृति परतों में है; एक के खुलते ही दूसरी एक नए रूप में दिखने लगती है|
हिमाचल प्रदेश में मैंने ‘मोमो’ चखा। वह चीनी ‘डंप्लिंग’ जैसा था! मैं चीनी हूँ, तो घर में ‘डंप्लिंग’ खाता हूँ, लेकिन इस यात्रा पर भारत में भी वैसा खाना खाकर घर का स्वाद लगा, वो भी भारतवाले खाने से। वहाँ बढ़िया खाना तो खाया ही बढ़िया लोगों से भी मिला। जब मैं कुछ दोस्तों के साथ
पासवाले पहाड़ के गाँव में गया, एक देशी औरत ने हमको कुछ ‘स्ट्रॉबेरी’ दी और पूछा कि अँग्रेज़ी में क्या कहते हैं। एक बार हँसी भी आई कि अंग्रेज़ी में भी तो ‘स्ट्रॉबेरी’ ही है| वे बहुत ताज़ी और स्वादिष्ट थीं।
पहाड़ काफ़ी लंबा था इसलिए मैं ठीक से चढ़ नहीं सकता था, तो मुझे कई बार रुकना पड़ा। देशी लोगों को तो कोई तकलीफ़ नहीं हुई| हम सिंगापुर में रहकर काफ़ी नाज़ुक हो गए हैं| पहाड़ी लोगों को किसी और तरह के ‘जिम’ में जाने की ज़रूरत ही नहीं है| उनका शरीर तो हमेशा कसरत ही करता रहता है|
हमारे होटल के स्टाफ़ भी बहुत अच्छे थे, और एक युवक ने अपनी ज़िन्दगी के बारे में बातचीत की। उसकी ज़िंदगी मेरी ज़िन्दगी से आसान है। होटल में काम करने के बाद आर्मी में काम करेगा, तो पैसा बचा करेगा और गाँव पर घर बसाएगा। हम लोगों को तो ज़िंदगी भर काम करना पड़ता है। मैं यह नहीं कह रहा कि एक अच्छा है और एक बुरा लेकिन शायद इसी को किस्मत कहते हैं। हमारे पास काफ़ी कुछ है फिर भी हम भाग रहे हैं पर पहाड़ों पर लोग कम में भी ख़ुश हैं|
मैं चीनी हूँ पर शाकाहारी पसंद हूँ और भारत में बहुत शाकाहारी खाना खाने को मिला, बहुत अच्छा लगा। दही, रोटी, पनीर, दाल – यह हम हर रोज़ खाते थे। सिंगापुरवाले रोज़ कम से कम तीन बार गोश्त खाते हैं, और जब मेरे दोस्त ने सुना कि हर खाने में गोश्त नहीं था, कहा कि अरे गोश्त के बिना कैसे खाते हो?
मेरे होटल की वाईफाई भी ज़्यादा अच्छी नहीं थी, शुरू में मुझे अजीब लगा, लेकिन बाद में महसूस हुआ कि शायद इसलिए मैं आसपास की सुन्दरता को ठीक से ‘अप्रीशिएट’ कर सका। हम इंटर्नेट के लती हो गए हैं और कभी-कभी इंटर्नेट छूट जाने पर ही हमको आसपास की सुंदरता दिखाई देती है।
सोलांग सिंगापुर से बहुत अलग था, और वहाँ रहना मेरे लिए अच्छी बात थी। पूरी भारत यात्रा में सोलांग सबसे पसंदीदा जगह रही। सुंदर मौसम, सुंदर लोग, स्वादिष्ट खाना, सुंदर दृश्य, सुंदर पहाड़। उम्मीद है कि दोबारा भारत की यात्रा करूँगा|
4 Comments
Vijay Kumar Tiwari
Dhanyawad.. aapne Bharat ki yatra ki.Bigat varsh March 2018 me Mai bhi Singapore gaya tha.Bahut acha laga.
Archana Aggarwal
पढ़कर बहुत अच्छा लगा आपने हिन्दी सीखी और इसे इतना महत्व दिया , धन्यवाद
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